Rashtriya Swayamsevak Sangh । RSS । Sangh


          

                          राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ

                                        

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स्थापना



 संघ की स्थापना पूज्य डॉक्टर केशव बलिराम हेडगेवार जी ने 27 सितंबर 1925 ई. ( अश्विन शुक्ल पक्ष विजया दशमी तिथि ) को नागपुर महाराष्ट्र के मोहिते की बाड़ा नामक स्थान पर किया । इसका नामकरण 1927 में हुआ ।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को संक्षेप में आरएसएस या संघ भी कहा जाता है ।

     21 मार्च 2009 को मोहनराव मधुकरराव भागवत सरसंघचालक मनोनीत हुए तथा वर्तमान में भी सरसंघचालक वह ही है ।


क्या है संघ


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          संघ एक सांस्कृतिक संगठन है जो धार्मिक आध्यात्मिक राष्ट्र हित की भावना से ओतप्रोत होकर अपने कार्य में सदा गतिशील है । संघ का यह कहना है कि हम संपूर्ण समाज की चिंता करते हैं , कोई हमारे लिए अछूत नहीं है  ।

आखिर क्यों पड़ी संघ की ज़रूरत


          संघ की स्थापना के पूर्व अनेक संगठन थे , परन्तु डॉ़ साहब को संघ की स्थापना की जरूरत पड़ी इसका मुख्य कारण यह है कि डॉ़ साहब की सोच थी कि एक ऐसा संगठन हो जो धार्मिक , आध्यात्मिक एवं राष्ट्रहित की भावना से परिपूर्ण हो ।
                हम दासता की बेड़ियों में जकड़े केवल 'स्व' के कारण , केवल अपने हित के बारे में ही न सोचें अपितु स्वहित के साथ परहित के बारे में भी सोचे । "वसुधैव कुटुंबकम" की भावना से प्रेरित होकर , हम अपने दर्शन के अनुसार कार्य करें , जिससे समाज राष्ट्र एवं संपूर्ण विश्व का कल्याण हो ।

क्या है उद्देश्य


           
            जिस समय संघ की स्थापना हुई उस समय देश में अनेक समस्याएं मुँह बाये खड़ी थी , देश पराधीनता की बेड़ियों में जकड़ा हुआ था । लोगों में स्वहित प्रबल था । परहित एवं समाज ,  राष्ट्र का विकास का अभाव था । लोगों के अंदर एकता का अभाव था । हम कौन हैं ? क्या हैं ? हमारा अतीत कौन सा था ? , का अभाव था । लोगों को इससे  परिचित कराना ही संघ की स्थापना का उद्देश्य रहा है और संघ अपने इस पुनीत कार्य पूरे मनोयोग से राष्ट्र के नवनिर्माण में सदा कार्य कर रहा है । संघ का मुख्य कार्य भारतवर्ष को परम वैभव के शिखर पर ले जाना है । इसके लिए RSS विगत 93 वर्षों से हिंदू समाज के संगठन का कार्य कर रहा है । भारत हमारी मां है और हम इस धरती के पुत्र हैं । दुनिया में भी केवल भारत को ही मां कहा जाता है और देवता भी इस भूमि पर जन्म लेना चाहते हैं ।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बारे में महापुरुषों के विचार





महात्मा गांधी :-  आरएसएस के सामाजिक कार्यों में  मैं राष्ट्रहित देख रहा हूं । व्यक्तिगत चरित्र ध्येय के प्रति प्रतिबधता है । इस कार्य में आपको सफलता न मिलने का प्रश्न ही नहीं उठता ।

डॉ भीम राव अंबेडकर :-  मुझे आश्चर्य होता है , यह देखकर कि यहां पर स्वयंसेवक किसी भी प्रकार के भेदभाव के बिना किसी दूसरे की जाति जाने बगैर परस्पर भाईचारे से रह रहे है ।

 भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ जाकिर हुसैन :- RSS के ऊपर दंगा और दहशतगर्दी का आरोप है , यह बिल्कुल बेबुनियाद है , परस्पर प्रेम सौहार्द संगठन ऐसे विचार मुसलमानों को संघ से सीखना चाहिए ।

 दलाई लामा :- मैं संघ का समर्थक हूं ,  अनुशासन देशभक्ति और समाज सेवा के लिए यह संगठन जाना चाहता है ।

आचार्य विनोबा भावे :-  मै संघ का विधिवत सदस्य नहीं हूं , फिर भी स्वभाव से , परिकल्पना से , मैं स्वयंसेवक हूँ ।

संघ के बारे में कुछ अन्य बातें


* संघ जातिवाद में विश्वास नहीं करता है ।

* संघ संपूर्ण समाज के लिए कार्य करता है ।

* संघ का मुख्य कार्य भारतवर्ष को परम वैभव के शिखर पर ले जाना है ।

* संघ का कार्य हिंदू समाज को संगठित करना है ।






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धन्यवाद्  ।




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